Saturday, May 23, 2009

अजनबी

मुझे याद हैं वो रास्ते जो लेट जाते थे ज़मीन पर जब हम चला करते थे

मुझे याद है वो पेड़जो अपनी छांवो फैलाते थे जब उनकी गोद में हम सोते थे

मुझे याद है वो पत्थर जिनकी खामोशी ने हमारा हर राज़ जाना है पर जुबां पे उनकी ताले थे

मुझे याद है वो समुंदर जिनकी लहरों ने खुशी खुशी हमारे आसूं अपना लिए थे जब हम रोये थे

मुझे याद है वो फूल जो अपनी खूबसूरती मेरे कहने पे तुम्हे दे गए थे

मुझे याद हो वो बादल जिनकी बारिश मे हमारे बुरे दिन बहे गए थे

मुझे याद हैवो हवा जो हर बार मुझ तक तुम्हारे पैगाम पहुचती थी

अब तुम नहीं हो तो

रास्ते

पेड़

पत्थर

समुंदर

फूल

बादल

हवा

सब अजनबी से लगते है

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