मुझे याद हैं वो रास्ते जो लेट जाते थे ज़मीन पर जब हम चला करते थे
मुझे याद है वो पेड़जो अपनी छांवो फैलाते थे जब उनकी गोद में हम सोते थे
मुझे याद है वो पत्थर जिनकी खामोशी ने हमारा हर राज़ जाना है पर जुबां पे उनकी ताले थे
मुझे याद है वो समुंदर जिनकी लहरों ने खुशी खुशी हमारे आसूं अपना लिए थे जब हम रोये थे
मुझे याद है वो फूल जो अपनी खूबसूरती मेरे कहने पे तुम्हे दे गए थे
मुझे याद हो वो बादल जिनकी बारिश मे हमारे बुरे दिन बहे गए थे
मुझे याद हैवो हवा जो हर बार मुझ तक तुम्हारे पैगाम पहुचती थी
अब तुम नहीं हो तो
रास्ते
पेड़
पत्थर
समुंदर
फूल
बादल
हवा
सब अजनबी से लगते है
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