Saturday, May 23, 2009

अजनबी

मुझे याद हैं वो रास्ते जो लेट जाते थे ज़मीन पर जब हम चला करते थे

मुझे याद है वो पेड़जो अपनी छांवो फैलाते थे जब उनकी गोद में हम सोते थे

मुझे याद है वो पत्थर जिनकी खामोशी ने हमारा हर राज़ जाना है पर जुबां पे उनकी ताले थे

मुझे याद है वो समुंदर जिनकी लहरों ने खुशी खुशी हमारे आसूं अपना लिए थे जब हम रोये थे

मुझे याद है वो फूल जो अपनी खूबसूरती मेरे कहने पे तुम्हे दे गए थे

मुझे याद हो वो बादल जिनकी बारिश मे हमारे बुरे दिन बहे गए थे

मुझे याद हैवो हवा जो हर बार मुझ तक तुम्हारे पैगाम पहुचती थी

अब तुम नहीं हो तो

रास्ते

पेड़

पत्थर

समुंदर

फूल

बादल

हवा

सब अजनबी से लगते है

Wednesday, May 20, 2009

मेरी आंखों को दिन रात रुलाने वाले
तू भी तड़पे
मुझको हर वक्त सताने वाले

हर घड़ी तेरे लिए आँहें भरता है दिल
प्यार की शमा
मेरे दिल मे जलाने वाले

दिल की दुनिया मे बसी है तेरी सूरत
अपनी कसमे
अपने वादों को भुलाने वाले

बेवफा कहूँ तुझको या कहूँ तुझको जालिम
हर घड़ी
मेरी मुहब्बत को ठुकराने वाले

रब से दुआ है पूरे हो तेरे हर सपने
मेरी मुहब्बत
केहर एक ख्वाब को मिटाने वाले

जाए तोः जाए कहाँ दिलकश तुम बताओ
हो गए है दुश्मन
अब तोः हमारे चाहने वाले