दो चार बार हम जो कभी हम हँस-हँसा लिए
सारे जहान ने हाथ मे पत्थर उठा लिए
रहते हमारे पास तो यह टूटते ज़रूर
अच्छा किया जो आपने सारे सपने चुरा लिए
चाहा था एक फूल ने की साफ़ रहे राहें उसकी
हमने खुशी से कांटे अपने पांव मे चुभा लिए
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया
अपनी ग़ज़ल के शेर कहीं गुनगुना लिए
अब भी किसी दराज़ मे मिल जायेंगे तुम्हे
वो ख़त जो तुम्हे दे न सके, लिख लिखा लिए
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बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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