Friday, April 11, 2008

मेरी याद आएगी

ज़ख्मो को हवा दोगे तो मेरी याद आएगी
कभी किसी को दगा दोगे मेरी याद आएगी

खीचोगे रेत पे लकीरे मेरी तस्वीर आएगी
मिटाओगे जब उसको तो मेरी याद आएगी

नदी के बहते पानी मे परछाई देख
जुल्फों को सवारोंगे तो मेरी याद आएगी

बेचैन हो के यादों से मेरी कभी कभी चाहोगे
भूलना जब भी मुझे तो मेरी याद आएगी

2 comments:

  1. a nice creation..as others..

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  2. दर्द-ऐ-मोहब्बत बढ़ जाने से एक पल न आराम किया,
    देखा इस बीमार-ऐ-दिल ने आखिर काम तमाम किया...
    मुझ से मेरे यार न पूछो हिज्र का आलम कैसा था,
    तारे गिनगिन सुबह किया और आंसू पीकर शाम किया...
    याद की चादर ओढ़ ली और कितनी रातें बीत गई,
    जिस दिन फैला आँख में काजल लोगों ने बदनाम किया....

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