ज़ख्मो को हवा दोगे तो मेरी याद आएगी
कभी किसी को दगा दोगे मेरी याद आएगी
खीचोगे रेत पे लकीरे मेरी तस्वीर आएगी
मिटाओगे जब उसको तो मेरी याद आएगी
नदी के बहते पानी मे परछाई देख
जुल्फों को सवारोंगे तो मेरी याद आएगी
बेचैन हो के यादों से मेरी कभी कभी चाहोगे
भूलना जब भी मुझे तो मेरी याद आएगी
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a nice creation..as others..
ReplyDeleteदर्द-ऐ-मोहब्बत बढ़ जाने से एक पल न आराम किया,
ReplyDeleteदेखा इस बीमार-ऐ-दिल ने आखिर काम तमाम किया...
मुझ से मेरे यार न पूछो हिज्र का आलम कैसा था,
तारे गिनगिन सुबह किया और आंसू पीकर शाम किया...
याद की चादर ओढ़ ली और कितनी रातें बीत गई,
जिस दिन फैला आँख में काजल लोगों ने बदनाम किया....